_ धर्मशास्त्र में दुष्ट आत्मा का वर्णन _
दुष्टआत्मा मानव शरीर के अंन्दर से विभिन्न नाम से अपने को प्रगट करती है.
धर्मशास्त्र में इन दुष्टआत्माओं को भिन्न – भिन्न नामों से पुकारा गया है..
इनके नाम का अनुवाद भी अनुएक प्रकार से किया गया है, मैंने यहाँ तीन अनुवादों का नाम दिया है जो इस प्रकार से है के.जी.वी., एन.ए.एस.बी. और एन.आई.वी.
_ पुराने नियम में_
इर्ष्या / इर्ष्या महसूस करना — गिनती 5:14,30
दुष्ट इच्छा शक्ति / बुरी आत्मा — न्यायियों 9:23
दुष्ट आत्मा / बुरी आत्मा — 1शमुएल 16:14- 23,18:10, 19:9
झूठी आत्मा — 1राजा 22:22, 2 इतिहास 18:20-22
भ्रष्ट विकृत आत्मा — यशायाह 19:14
गहरी निंद्रा — यशायाह 29:10
भारीपन / बेहोशी — यशायाह 61:3
वेश्यावृत्ति की आत्मा — होशे 4:12, 5:4
अशुद्ध आत्मा — जकर्याह 13:2
_ नये नियम में_
चुप रहने की आत्मा — मरकुस 9:17
गूंगी एवँ बहरी आत्मा — मरकुस 9:25
बीमार करने वाली/कुबड़ी आत्मा – लुका 13:11
भावी कहने वाली आत्मा — प्रेरितों के काम 16:16
छल करने वाली आत्मा — 1 तीमुथियुस 4:1
डर / भय की आत्मा — 2 तीमुथियुस 1:7
गलती / झूठ की आत्मा — 1 युहन्ना 4:6
_ अन्य दुष्टआत्माएं _
धर्मशास्त्र में लिखे ऊपर के दुष्टात्माओं के आलावा भी मैं कुछ अन्य दुष्टात्माओं के नाम जोड़ना चाहूँगा जिसका सामना मैंने किया था:
_ शारीरिक दुर्बलताओं के क्षेत्र में_
गठिया पन <> अस्थमा
कैंसर <> कुबड़ापन
मिर्गी <> सिर दर्द
माईग्रेन <> साईंनस
थ्राम्बोसीस
_ अन्य समान्य क्षेत्र में_
मतवालापन <> छोटे जगह का डर
आलोचना <> निराशा
दुश्मनी <> कल्पना
परनिन्दा <> घृणा
हस्तमैथुन <> हत्या
विकृति <> विरोध
तिरिस्कार <> धर्म
आत्मा दुःख <> तनाव
आत्महत्या <> उग्र
जादू – टोना <> तरह तरह के विचार
कुद्रष्टि <>
दुष्टआत्माओं की यह तालिका लम्बी नही है पर यह इसके विभिन्न कार्यों को दर्शाते हैं. शैतान के पास दुष्टआत्माओं की भरमार है जिसे वह मनुष्यों को घबराने के लिए प्रयोग करता है.
