जाग्रति क्यों ठहरी हुई है

*****___ जाग्रति क्यों ठहरी हुई है ? ___*****

उत्तर बहुत साधारण है – क्योंकि प्रचार अति व्यवसायिक हो गया है,

विधवाओं व गरीबों द्वारा दिया गया दसवांश कई प्रचारकों द्वारा ऐश आराम में खर्च किया जाता है. बड़ी भीड़, खोजियों की बड़ी पंक्ति, शहर के महापौर द्वारा बड़ी प्रंशसा आदि की चिल्लाहट ऊँचे आकाश तक जाती है, प्रेम भेंट का लेखा जोखा देने के सिवाय सब बातों का प्रचार है! कंगाल को ठगा जा रहा है “वह सोचता है कि वह परमेश्वर की सेवा कर रहा है” परन्तु जो कुछ वह कर रहा है वह यह है कि बड़े ख्याति प्राप्त, छोटे ह्रदय वाले प्रचारक को हालीवुड जैसे वैभव में रख रहा है,

जिन प्रचारकों के बंगले और कोठियां झील के किनारे हैं, उस झील में सैर करने के लिए मोटर बोट भी है, एक बड़ा धन बैंक में जमा है, फिर भी पैसे के लिए भीख मांगते हैं. क्या ऐसे लुटेरे, बेईमान मनुष्यों को परमेश्वर पवित्र आत्मा की जाग्रति sसौपेगा, यह प्रिय, गुडिया जैसे युवा प्रचारक एक दिन में एक बार नहीं, परन्तु दो – तीन बार अपने सूट बदलते हैं, वह गौशाले में जन्मे यीशु का प्रचार तो करते हैं, परन्तु स्वयं आलीशान होटलों में रहते हैं. अपने स्वयं के भोग – विलास के लिए उस एक के नाम पर, जिसे अपने उद्देश्य को समझाने के लिए एक सिक्का माँगना पड़ा था, अपने श्रोताओं को आर्थिक रूप से चूसते हैं, वे महंगे बालीवुड के सूट उस एक के सम्मान में पहनते हैं जिसने किसान का बागा पहना था, वे भुने हुए माँस का भोज उस याद में करते हैं. जिसने जंगल में उपवास किया था, आज प्रचारक न केवल मजदूरी का हक़दार है, बल्कि चक्रवृद्धि ब्याज का भी ( ऐसा वह सोचता है) इन सब बातों का अंत न्याय की सुबह में कैसा डरावना होगा!

जाग्रति ठहरी हुई है क्योंकि सुसमाचार को सस्ता बना दिया गया है. टेपरिकॉर्डर, सीडी, टीवी, और चर्च के अन्दर भी आज कलीसिया के गीत मनोरंजन के लिए नाच की धुन पर बजाये जाते हैं, हमारे पास यीशु के बहुमूल्य रक्त पर बने गीत समय बिताने के लिए हैं, कल्पना कीजिये, हमने पवित्र आत्मा के महत्त्व को कम कर दिया है,

मंच हमारे वरदानो को प्रदर्शित करने का स्थान बन गया है, प्रचार करने वाली टीम बेजान मूर्तियों के सामान अपना प्रदर्शन करते हुए चली जाती है, आज जब मै चिकनी चुपड़ी बात करने वाले प्रचारकों को झूठे अभिषेक के साथ प्रचार करते देखता हूँ जिससे सभा में झूठा ईश्वरीय डर उत्पन्न हो, तो मैं यह भी आशा करता हूँ कि मेढक भी हमारी सभाओ में आकर संगीत यंत्रों को बजने लगेंगे,

आज प्रचारक लोग कई बार किसी के लिए कुछ भी बनने को तैयार हैं यदि वह किसी को किसी भी कारण के लिए वेदी के पास लाने में सफल हो जाएँ, वे बड़ी चतुराई से पूछते हैं: “किसको सहायता की जरुरत है ? किसको और सामर्थ चाहिए? कौन परमेश्वर के साथ चलना चाहता है?” पाप करो और पश्चाताप करो ऐसा “आसान विश्वास यीशु के रक्त को अपमानित और वेदी को भ्रष्ट करता” हमें वेदी को ठीक करना है, क्योंकि वेदी बलिदान देने का स्थान है, जो इस कीमत को नहीं चुका सकते वह इसे छोड़ कर अलग हो जाएँ!

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