जवाब देने का दिन आ रहा

जवाबदेही का दिन आ रहा है :-


एक विश्वासी के भविष्य में सबसे महत्त्वपूर्ण दिन है, न्याय का दिन | पौलुस, यीशु की शिक्षा को स्पष्ट करता है – कि हमें हर दिन उस दिन के लिए तैयार रहना है |

“हम सब के सब परमेश्वर के न्याय सिंहासन के सामने खड़े होंगे | क्योंकि लिखा है, ‘प्रभु कहता है, मेरे जीवन की सौगंध कि हर एक घुटना मेरे सामने टिकेगा, और हर एक जीभ परमेश्वर को अंगीकार करेगी |’ इसलिए हम में से हर एक परमेश्वर को लेखा देगा |” (रोमियो 14:10 – 12) |

क्योंकि अवश्य है की हम सब का हाल मसीह के न्याय आसन के सामने खुल जाए, कि हर एक व्यक्ति अपने – अपने भले बुरे कामों का बदला जो उसने देह के द्वारा किये हों, पाए |” (2 कुरि.5:9 -10 ) |

एक साल में कितनी बार आप आपके उपदेशों या बाइबल शिक्षण में, न्याय के ऊपर एक मुख्य भाग सम्मलित करते है ? कितनी स्पष्टता से आपने अपने लोगों को – बच्चों से वयस्कों तक – सिखाया है कि हर दिन जो वे करते हैं, उन चीजों में जोड़ा जावेगा जो वे न्याय पर सामना करेंगे और यह कि मसीह के द्वारा उन से पूछा जायेगा कि हिसाब दें ?

यह उपदेश देना या सिखाना पर्याप्त नहीं है कि पापियों के लिए न्याय का क्या अर्थ होगा | आपको बहुत स्पष्ट कर देना चाहिए कि न्याय का विश्वासियों के लिए क्या अर्थ होगा |

पौलुस मसीहियों से बात कह रहा है, वह हर बार कहता है, “अवश्य है की हम सब न्याय के सामने खड़े हों |” वह स्वयं को भी सम्मलित करता है | किसी और स्थान पर वह स्पष्टता से जोर देता है कि तुलना में वह इस बारे में निश्चिन्त है कि दुसरे लोग उसे कैसा आंकते है, क्योंकि मसीह उसका न्यायी होने जा रहा है ( 1 कुरि. 4:3-4 ) | भली और बुरी दोनों चीजों का न्याय होगा | प्रकाशितवाक्य की पुस्तक इसमें जोडती है कि न्याय के समय न केवल “जीवन की पुस्तक” होगी, अपितु अन्य पुस्तकें भी | निस्संदेह इनमे प्रत्येक जिन्दगी का सम्पूर्ण अभिलेख है, आपका और मेरा भी (प्रकाशितवाक्य 20:12 )
आपने अपने लोगों को उनके भविष्य के सबसे महत्वपूर्ण दिन के लिए कैसा तैयार किया है ? इब्रानियों 9:27, हमें याद दिलाता है कि “मनुष्य के लिए एक बार मरना और न्याय का होना नियुक्त है |” हर कोई मरेगा – सन्त और पापी | और मृत्यु के बाद हर एक व्यक्ति “न्याय का सामना” करेगा – सन्त और पापी | यदि आप अपने लोगों को इस विषय पर पर्याप्त रूप से शिक्षित करने में असफल रहे हैं, आपको उनसे क्षमा मांगने और तुरंत विषय को स्पष्ट करने की आवश्यकता है | हो सकता है कि वे बड़े प्रतिफल को पहले ही खो चुके हों, क्योकि वे उस दिन के लिए नहीं जी रहे होंगे |

प्रत्येक अगुआ उसकी सेवकाई के बारे में कई प्रश्नों का सामना करेगा जब वह मसीह के सामने खड़ा होता है | यीशु ने उसे उसके अधीन किये गए प्रत्येक मसीही का जिम्मेदार बनाया है | वह जिम्मेदार होगा कि उसने उन्हें क्या सिखाया | यदि वह गलत धर्मशिक्षा सिखाता है, उसे उसके लिए भी उत्तर देना पड़ेगा | इब्रानियों 13:17 स्मरण दिलाता है कि उसे उसके लोगों के ऊपर चौकसी रखना है, ऐसे व्यक्ति के समान जिसे उनके जीवनों के प्रति उसके भंडारीपन के लिए, परमेश्वर को “लेखा देना पड़ेगा |”

यदि आपके विश्वासियों के मित्र और सम्पर्क नरक जाते हैं क्योंकि उनसे उचित प्रेम नहीं किया गया, आशीषित नहीं किया गया, प्रार्थना नहीं की गयी, गवाही नहीं दी गयी और चेतावनी नहीं दी गयी, तो कौन जिम्मेवार ठहराया जावेगा ? यहेजकेल कहता है कि आपके लोग ठहराये जावेंगे (यहेज.3:18-19) लेकिन यदि आप अपने लोगों को सिखाने में चूक गए कि वे जिम्मेवार ठहराये जावेंगे, आप भी जिम्मेवार ठहराये | यहेजकेल कहता है कि इसका अर्थ होगा खून आपके सर पर |

क्या आपको याद है कि पौलुस कितना चिन्तित था कि वो किसी के लहू का जिम्मेवार न ठहराया जावे ? प्रेरितों के काम 20:26 कहता है, “इसलिए मैं आज के दिन तुम से गवाही दे कर कहता हूँ, कि मैं सब के लहू से निर्दोष हूँ |” पौलुस किस बारे में बातें कर रहा था ? वह उन लोगों के लहू के प्रति निर्दोष था जिन्हें उसने सिखाया और मसीह के लिए जीता | क्यों ? उसके शब्द सुनिए :- “क्योंकि मै परमेश्वर के सारे अभिप्राय को तुम्हे पूरी रीती से बताने से न झिझका” (पद 27) वह उसकी धर्मशिक्षा की और संकेत करता है | वह लहू के अपराध से मुक्त रहेगा क्योंकि उसने उन्हें प्रत्येक धर्मशिक्षा स्पष्टता से सिखाया था | क्या आप भी ऐसा कह सकेंगे ? कितनी स्पष्टता से आप बाइबल की धर्मशिक्षा सिखाते हैं ? अनेक मसीही अगुवे इस विषय में मसीह को निराश कर रहे हैं | न्याय पर, वे इसके लिए जवाबदेह होंगे, गलत धर्मशिक्षा सिखाने के लिए नहीं, किन्तु अत्यावश्यक सच्ची धर्मशिक्षा को सिखाने को अनदेखा करने के लिए | कोई भी अगुआ धर्मशिक्षा को टालने का हियाव न करे |

लहू के अपराध से उसके स्वयं की मुक्ति की बातें करने के बाद, आगामी आयतों में, इफिसुस के अगुओं से कहता है, “इसलिए अपनी और अपने पूरे झुण्ड की चौकसी करो जिसमे पवित्र आत्मा ने तुम्हे अध्यक्ष ठहराया है, कि तुम परमेश्वर की कलीसिया की रखवाली करो, जिसे उसने अपने लहू से मोल लिया है |” (पद 28)

मसीह का महान अधूरा काम, संसार में सुसमाचार प्रचार करना है | मसीह का लहू सम्पूर्ण संसार के लिए बहाया गया (1 युहन्ना 2:2) परमेश्वर सारे संसार से प्रेम करता है | परमेश्वर नहीं चाहता कि कोई नाश हो, अपितु सब को पश्चाताप करने (मन फिरने ) का अवसर मिले (2 पतरस 3:9 ) |

आज प्रत्येक विश्वासी के लिए ‘उसकी’ नम्बर एक प्राथमिकता है कि जितने अधिक से अधिक संभव हो संसार के लोगों को जीतने के लिए, मानवीय रूप से सम्भव सब कुछ किया जावे | ‘वह’ उनके लिए मरा | क्या हम उन तक पहुँचने का प्रयास नहीं कर सकते ?

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