पवित्र आत्मा का बपतिस्मा कैसे पायें

पवित्र आत्मा प्राप्त करने के लिए आपको क्या करना होगा।

आप कैसे जानोगे कि पवित्र आत्मा आपके अन्दर हैं ?

जब आप मन फिरायेंगे मतलब

आज तक जो करते आये उन बातों को बन्द करके अपना मन यीशु से लगा लेना ।

संसार को संसार की अभिलाषाओं को मन से उठने विचारों को त्याग देना हर एक सांसारिक बातो को त्याग कर यीशु से मन लगा लेना ।

फिर पश्चाताप करना रो रो कर ह्रदय की गहराई से हर एक पापों को यीशु के सामने मान लेना और छोड़ने का पक्का निर्णय कर लेना और छोड़ देना ।

बाइबल के वचन का आज्ञा पालन करने की परमेश्वर से प्रतिज्ञा करना और यीशु मसीह ही परमेश्वर के पुत्र है यीशु को अपने जीवन का मुक्ति दाता उद्धार्कर्ता स्वामी और प्रभु करके अंगीकार करना ।

ये प्रक्रिया 5 से10मिनिट की है और घुटने टेक कर हाथों को ऊपर उठा कर ही होगी।

और आपको पिता से पवित्र आत्मा को मांगना है। जिससे आप यीशु के पदचिन्हों पर चल सकने के लिए कहें हे परमेश्वर पिता आप अपने आत्मा से मुझे भर दें ताकि मै आपकी आत्मा के चलाये चल सकूँ और आपका पुत्र कहला सकूँ। कृपया अपने आत्मा को दें।

ओर उसके बाद सिर्फ हल्लेलुयाह हल्लेलुयाह लगातार बोलते और हालेलुयाह के आलावा कुछ नहीं बोलना है

इस क्रम में आप चलते रहें हमेशा जब तक आप जाग रहे है जब आपका मन खाली हो तो हाल्लेलुयाह, हाल्लेलुयाह,
हाल्लेलुयाह,हाल्लेलुयाह लगातार बोलते रहे

जब आप ऐसा बोलते रहेंगे तब आपके ऊपर पवित्र आत्मा जैसे ही आयेंगे आपका ह्रदय एकदम पिघल जायेगा , आपकी आँखों से आंसू आने लगेंगे हो सकता है आपके पाप आपको स्मरण आने लगें या दिखने लगे तो तुरंत उन पापों को मानने लगे हाँ प्रभु ये पाप मुझ से हुआ है क्षमा मांगता हूं माफ़ कर दीजिए मैं आज से हर पाप बुराई के रास्ते को छोड़ता हूँ आपके वचन को पढूंगा और आज्ञापालन करूँगा

बोलें परमेश्वर के पुत्र हे प्रभु यीशु मैं आज से आपको अपने जीवन का मुक्तिदाता, उद्धारकर्ता जान कर और मान कर ग्रहण करता हूँ आपको आमंत्रित करता हूँ अपना ह्रदय खोलता हूँ आप मेरे ह्रदय में आ जाईये और मेरे ह्रदय को अपना निवास स्थान बना लीजिए

आज से यीशु आप मेरे प्रभु ,ईश्वर, स्वामी, मालिक बन जाईये

हे परमेश्वर पिता अपने पवित्र आत्मा से मुझे भर दीजिये आपने अपने वचन में कहा है जब तुम बुरे हो कर अपने बच्चों को अच्छी वस्तुएं देना जानते हो तो तुम्हारा स्वर्गीय पिता अपने मांगने वालों को पवित्र आत्मा क्यों न देगा हे परमेश्वर मुझे आप अपनी आत्मा से भर दीजिये मैं आपके आत्मा के चलाये चलना चाहता हूँ ताकि आपका पुत्र बन सकूँ (स्त्री कहें आपकी पुत्री बन सकूँ)

और हाल्लेलुयाह, हाल्लेलुयाह,
हाल्लेलुयाह,हाल्लेलुयाह , हाल्लेलुयाह,
हाल्लेलुयाह, लगातार बोलते रहे

आपके शरीर में कम्पन होने लगेगा और आपकी जुबान लड़खड़ाने लगेगी तब आप हल्लेलुयाह बोलना बन्द करके जो शब्द आपके मुँह से निकलना चाहते हैं बोलने लगें आपको समझ में नहीं आएगा की क्या निकल रहा है संदेह बिलकुल न आने दें क्योकि आपकी पतवार (जीभ) पवित्र आत्मा काबू में करना चाहते है । तो अपना नियंत्रण उन्हें दे देवें।

पवित्र आत्मा की निशानी अन्य अन्य भाषा है।

जो अन्य अन्य भाषा में बातें करता है वो पिता से बातें करता है

जो अन्य अन्य भाषा बोलता है वो अपनी आत्मिक उन्नति करता है

जब भी पवित्र आत्मा लोगों पर उतरे तो चिन्ह प्रगट हुए इस बात के हम भी गवाह हैं।

जब पवित्र आत्मा हमारे अन्दर आये तब हमारे मुँह से अन्य अन्य भाषा निकली और यह क्रम 25 वर्षों से अब तक जारी है। पिता परमेश्वर का धन्यवाद हो।

प्रेरितों के काम 2:1 से 4
प्रेरितों के काम 10:46,47
प्रेरितों के काम 11:15,16,17
प्रेरितों के काम 19::1…6

जरा सोचिये कि आपके प्रदेश का मुख्य मंत्री आपके घर आये और किसी को पता न चले ऐसा हो सकता है क्या???

पूरे शहर को पता चल जायेगा की आपके घर मुख्य मंत्री आये और लोग जान जायेंगे की आपके सम्बन्ध मुख्य मंत्री से हैं।
जब एक बड़े पद को प्राप्त किया हुआ इन्सान खलबली मचा देता है

तो सोचो इस स्रष्टी का बनाने वाला दुनिया का मालिक और स्वामी किसी के ह्रदय में आएगा और कोई चिन्ह प्रगट न हों ऐसा हो सकता है क्या ?

जो ऊपर आयतें दी है उसमे ऐसा ही हुआ

लोगों ने सुना अन्य अन्य भाषा बोलते हुए और भविष्यवाणी करते हुए

अब इन्सान इसकी गलत व्याख्या कर के लोगों को भ्रमित करता है और खुद भी भ्रमित रहता है और उद्धार से वंचित रह जाता है और अंत में नाश हो जाता है।

क्योकि जैसा वचन लिखा है उसको वैसा ही ग्रहण नहीं किया

देखिये हिन्दू दर्शन शास्त्र में क्या लिखा है :-

इतनी गहरी बात लिखी है लेकिन “उपाय” नही लिखा है जिसके कारण असंख्य आत्माए बिना मोक्ष पाये नाश हो रही हैं ये श्लोक बाइबल में पूर्ण होता है

वदन्तु शास्त्राणि यजन्तु देवान, कुर्वन्तु कर्माणि भजन्तु देवताः।
आत्मैक्यबोधेन विनापि मुक्ति – न सिध्यति ब्रह्याशतान्तरेऽपि।।
(विवेक चूड़ामणी 6)

अर्थात – उन्हे ईश्वर को मंत्र सुनाने दो और दक्षिणा चढ़ाने दो, उन्हे संस्कारों को मानने दो और देवताओं की पूजा करने दो, परंतु कोई छुटकारा नही है, यहां तक की ब्रम्ह्या के सहस्त्र जीवन काल में भी यह संभव नहीं हैं जब तक कि आत्मा परमात्मा के आधीन न हो जाए।

मतलब जब पवित्र आत्मा यानि परमात्मा के आत्मा मनुष्य के ह्रदय में आ जाते हैं तब मनुष्य की आत्मा परमात्मा के आत्मा के अधीन हो जाती है। इसको ही मोक्ष बोलते हैं।दुबारा जन्म या नया जन्म बोलते हैं।

अब प्रश्न उठता है कि मनुष्य की आत्मा परमात्मा की आत्मा के बस में आ जाए ऐसा क्यों जरुरी है।

असंख्य ईश्वर, देवी दवताओं, पीर पैगम्बर, में ऐसा परमात्मा है कौन ? जो हमारे दूषित पापी शरीर (तन) को शुद्ध करे पवित्र करें और हमारे ह्रदय में वास करे और हमे इस दूषित संसार में पाप बुराई से बचा कर रोगों कष्टों से बचा कर स्वर्ग ले जाए ?

बाइबल और हिन्दू दर्शन शास्त्र बताते है कि मनुष्य जन्म से ही शुद्र यानि पापी है; संस्कार के द्वारा ही वह दुबारा जन्म पता है।

जन्मना जायते शूद्र संस्कारात द्विज उच्यते।

बाइबल में लिखा है कि मनुष्य जन्म से पापी है पाप के द्वारा पैदा हुआ है और पाप उसके मनुष्यत्व में बसा हुआ है।

शरीर पाप का और इसके अन्दर आत्मा जो परमेश्वर की और से दिया गया है ।

शरीर का किया हुआ आत्मा को भुगतना पड़ेगा ये आत्मा जानती भी है।

गलतियों 5:17 में लिखा है

“क्योकि शरीर आत्मा के विरोध में और आत्मा शरीर के विरोध में लालसा करता है, और ये एक दूसरे के विरोधी हैं।”

अब प्रमाण देखिये आपकी आत्मा पाप के शरीर में निर्बल और दुर्बल कमजोर दबी हुई है और विरोध कब करती है जब आपसे कोई गलत काम या पाप हो जाता है।

मान लो आप ने क्रोध में आ कर बच्चे को जम के पीट दिया थोड़ी देर के बाद आप के अन्दर से एक आवाज़ उठती है और पछतावा होता है कि मैने गलत किया मुझे ऐसा नहीं करना था ।

ये पाप के शरीर में निर्बल आत्मा की आवाज़ है ।

इस तरह की आवाज़ हर पाप को करने के बाद उठती है

आप जेल जाएँ किसी भी व्यक्ति से पूछें वो बताएगा कि मैंने आवेश में आ कर ये कृत्य कर दिया लेकिन अब मुझे पछतावा हो रहा है गलत किया ऐसा मुंझे नही करना चाहिए था ये आत्मा की आवाज है

क्योकि आत्मा को मालूम है कि मै शरीर के किये पाप के कारण दूषित हो रही हूँ और एक दिन मुझे नरक की आग में जाना पड़ेगा।

इसलिए जब परमेश्वर का आत्मा हमारे ह्रदय के अन्दर आ जाते हैं तब वो हमारी निर्बल और दुर्बल आत्मा को बल प्रदान कर के शक्तिशाली बना देते हैं।

फिर जो आत्मा की आवाज़ बाद में उठती थी

अब वो पाप करने के पहले उठने लगती है ।

ताकि हम कोई पाप न करें।

परमात्मा जब ह्रदय में आ जातें जीवन बदल जाता है

बोलना , देखना नजरिया , सुनना, उठना , बैठना, चलना, संगति, विचार, भावनाएं, इच्छाएं , क्रिया कलाप, सब कुछ बदल जाता है इसी पृथ्वी में हमारा रूपांतरण हो जाता है हम परिवर्तित हो जाते है , मन , आत्मा , ह्रदय नये हो जाते हैं

इसी को मोक्ष या उद्धार या मुक्ति, नया जन्म, नये सिरे से जन्म, पवित्र आत्मा का बपतिस्मा, आत्मा से जन्म , दुबारा जन्म कहते है

By . Apostle Rakesh Lal

(Whatsapp) Mob. No. 9981098303

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