जीभ को मनुष्यों में से कोई वश में नहीं कर सकता तो फिर कौन कर सकता है ?
BIBLE SAYS :- हमारे जीवन को दिशा देने वाली स्टेयरिंग या पतवार जीभ है। “
“पर जीभ को मनुष्यों में से कोई वश में नहीं कर सकता; वह एक ऐसी बला है जो कभी रूकती ही नहीं; वह प्राण नाशक विष से भरी हुई है।” याकूब 3:8
“देखो, जहाज भी, यद्यपि ऐसे बड़े होते हैं, और प्रचंड वायु से चलाए जाते हैं, तौभी एक छोटी सी पतवार के द्वारा मांझी की इच्छा के अनुसार घुमाए जाते हैं।”James 3:4
“वैसे ही जीभ भी एक छोटा सा अंग है…..”James 3:5
हमारे जीवन को दिशा देने वाली
स्टेयरिंग या पतवार जीभ है।
ये जीभ या पतवार या स्टेयरिंग को बाईबल बताती है कि मनुष्यों मे से कोई नियत्रंण नही कर सकता
तब परमेश्वर ने इस बला को नियत्रंण करने के लिये अपने पवित्र आत्मा को हमारे पास भेजा है
तो जब हम पापों से मन फिराते हैं। और प्रभु यीशू से क्षमा मांगते है यानी सच्चा पश्चाताप करते है और यीशू के पीछे चलने का निर्णय लेकर यीशू से पवित्र आत्मा मंागते है तो वो हमे पवित्र आत्मा से भ्र देता है।
पवित्र आत्मा जब हमारे अंन्दर आते हैं तो सबसे पहले जीभ को नियंत्रण मे लेते है तब ये होता है
“और एकाएक आकाश से बड़ी आंधी की सी सनसनाहट का शब्द हुआ, और उस से सारा घर जहां वे बैठे थे, गूंज गया।”
“और उन्हें आग की सी जीभें फटती हुई दिखाई दीं; और उन में से हर एक पर आ ठहरीं।”
“और वे सब पवित्र आत्मा से भर गए, और जिस प्रकार आत्मा ने उन्हें बोलने की सामर्थ दी, वे अन्य अन्य भाषा बोलने लगे।।” Acts 2:2…4
तब ये जीभ परिवर्तित जीभ हो जाती है
ACT 10:46,47 / ACT 19:6 / MARK 16:17,18
इसको नया जन्म कहते है आत्मा से जन्मना या उद्धार कहते हैं
एक परिवर्तित जीभ के विशेष गुण :-
आज भी प्रभु अपने पवित्र आत्मा को हमारे मनों को अपने प्रेम से भरने के लिये भेजता है। जब हमारे ह्रदय इस प्रेम के द्वारा स्पर्श किये जाते हैं तब हमारी जीभें भी ऐसी जीभों मे परिवर्तित हो जाती हैं जो दूसरो को ईश्वरीय आशीषें मुफत में देती हैं।
(1) कार्य में परिवर्तन
पवित्र आत्मा से भरे जाने के एक अनुभव के पश्चात् स्वाभविक जीभ जो अभी तक साधारण बातों के फैलाने में उपयोग मे लाई गयी थी अब ईश्वरीय कार्या में तल्लीन हो जाती है।
1- यह प्रभु के सामने विनतियां एवं निवेदन संलग्न हो जाती है :-
“मेरा हृदय अन्दर ही अन्दर जल रहा था। सोचते सोचते आग भड़क उठी; तब मैं अपनी जीभ से बोल उठा;” भजन संहिता 39:3)
2- पूरे दिन यह उसकी धार्मिकता का बखान करती और उसकी स्तुती करती है :-
“तब मेरे मुंह से तेरे धर्म की चर्चा होगी, और दिन भर तेरी स्तुति निकलेगी।।” भजन संहिता35:28)
3- सब समय यह उसके वचन बोलती – इसे विस्तार से समझाती है :-
“मैं तेरे वचन का गीत गाऊंगा, क्योंकि तेरी सब आज्ञाएं धर्ममय हैं।” भजन संहिता 119:172)
4- सत्य का वचन सदैव इसके साथ बना रहेगा :-
“मुझे अपने सत्य वचन कहने से न रोक क्योंकि मेरी आशा तेरे नियमों पर है।” भजन संहिता 119:43)।
प्रभु का अभिषेक प्राप्त सेवक दाउद ठीक ऐसे ही अनुभव का निम्न रुप से बताता है :- 2शमुएल 23:2 ’’यहोवा का आत्मा मुझ मे होकर बोला, और उसी का वचन मेरी जीभ पर था।’’
क्या हमारे दयालू प्रभु यीशू की जीभ ने जो कल्पना से बाहर पवित्र आत्मा से भरा था जैसा कि प्रेरितो के काम 10:38; “और हम उन सब कामों के गवाह हैं; जो उस ने यहूदिया के देश और यरूशलेम में भी किए, और उन्हों ने उसे काठ पर लटकाकर मार डाला।”
तथा यहुन्ना 3:34 मे लिखा है :-
“क्योंकि जिसे परमेश्वर ने भेजा है, वह परमेश्वर की बातें कहता हैः क्योंकि वह आत्मा नाप नापकर नहीं देता।”
केवल कृपालु वचन ही बोले थे? लूका 4:22)
“और सब ने उसे सराहा, और जो अनुग्रह की बातें उसके मुंह से निकलती थी, उन से अचम्भा किया; और कहने लगे; क्या यह यूसुफ का पुत्र नहीं?”
(2) सामर्थ में बदलाव :-
एक दिव्य अनुभव के बाद, समान्य-सरल लोंगों की जीभें भी उनमें जो विद्वान हैं, में परिवर्तित हो जाती हैं। इसी कारण, प्रेरित पौलुस, जबकि वह अपनी सामर्थ के विषय में बता रहा थे, कहते है, ‘‘हम उनके मध्य बुद्धी की बातें बोलते हैं जो कि परिपक्व हैं’’
“फिर भी सिद्ध लोगों में हम ज्ञान सुनाते हैं: परन्तु इस संसार का और इस संसार के नाश होनेवाले हाकिमों का ज्ञान नहीं।” 1कुरि0 2:6)।
यह एक अधिकारिक जीभ के रुप में बदल जाती है यशायाह54:17 “जितने हथियार तेरी हानि के लिये बनाए जाएं, उन में से कोई सफल न होगा, और, जितने लोग मुद्दई होकर तुझ पर नालिश करें उन सभों से तू जीत जाएगा। यहोवा के दासों का यही भाग होगा, और वे मेरे ही कारण धर्मी ठहरेंगे, यहोवा की यही वाणी है।।”
परमेश्वर का पुत्र, यीशू भी ‘एक अधिकार प्राप्त’ के रुप मे बोला था और जिन लोंगों ने उसकी बातें सुनी वे चकित थे,जैसा कि
“जब यीशु ये बातें कह चुका, तो ऐसा हुआ कि भीड़ उसके उपदेश से चकित हुई। क्योंकि वह उन के शास्त्रियों के समान नहीं परन्तु अधिकारी की नाई उन्हें उपदेश देता था।।” मत्ती 7:28,29 में लिखा है।
(3) दिखाई देने मे बदलाव
एक परिवर्तित जीभ को वर्णन करने के लिये पवित्र शास्त्र मे अति उत्तम शीर्षक दिये गये हैं।
1. सर्वोत्तम चान्दी (नीतिवचन 10:20) “धर्मी के वचन तो उत्तम चान्दी हैं;“
2. स्वास्थ्यवर्धक दवा (नीतिवचन12:18) ” ऐसे लोग हैं जिनका बिना सोचविचार का बोलना तलवार की नाई चुभता है, परन्तु बुद्धिमान के बोलने से लोग चंगे होते हैं।”
3. जीवन का वृक्ष (नीतिवचन15:4) “’शान्ति देनेवाली बात जीवन-वृक्ष है,”
4. कोमल वचन हड्डी को भी तोड़ देता है (नीतिवचन 25:15)
“और कोमल वचन हड्डी को भी तोड़ डालता है।”
‘अनजानी जीभें’ या ‘नई जीभें’ केवल उन जीभों पर उतरती हैं जो पूर्ण रुप से पवित्र आत्मा की सामर्थ से परिवर्तित की जा चुकी हैं- जो उनके परिवर्तित अनुभव का चिन्ह है।
————–<< एक परिवर्तित जीभ के विशेष गुण :-
आज भी प्रभु अपने पवित्र आत्मा को हमारे मनों को अपने प्रेम से भरने के लिये भेजता है। जब हमारे ह्रदय इस प्रेम के द्वारा स्पर्श किये जाते हैं तब हमारी जीभें भी ऐसी जीभों मे परिवर्तित हो जाती हैं जो दूसरो को ईश्वरीय आशीषें मुफत में देती हैं।
‘अनजानी जीभें’ या ‘नई जीभें’ केवल उन जीभों पर उतरती हैं जो पूर्ण रुप से पवित्र आत्मा की सामर्थ से परिवर्तित की जा चुकी हैं- जो उनके परिवर्तित अनुभव का चिन्ह है।
प्रभु यीशु आपको बहुत बहुत आशीष देवे आमीन
Apostle Rakesh Lal / 9981098303
